Thursday, 11 October 2018

#बातें अभी अधूरी हैं#

कुछ और बचा हो,
तो अभी ही कह डालो,
फिर वक़्त मिले ना मिले,
ज़िंदगी ये रहे ना रहे 

मैं जानता हूँ,
बातें अभी अधूरी हैं 

अभी तो खुलने,
शुरू हीं  हुए है 
यादों के पन्ने,
अभी तो इन पन्नों
के बीच भी,
बहुत कुछ छिपा है,
कुछ सूखे हुए फूल,
कुछ टुकड़े काग़ज़ों के,
कई लकीर पड़े होंगे
बने रंगीन धागों से,
कुछ स्याहियों से उकेरे 
निशान भी होंगे,
कई भूल गए
ऐसे नाम भी होंगे,
कुछ संदेश सा,
महत्वपूर्ण होगा लिखा,
पर अर्थहीन, बेमतलब 
आज के लिए

मैं जानता हूँ,
बातें अभी अधूरी हैं

अभी तो उजाले में ही
खोए हुए हो तुम,
रात तो पूरी बाक़ी है,
अभी तो इनके बीच
कई शामें भी होंगीं,
कुछ ख़्वाब होंगे,
कुछ परछाइयाँ होंगीं,
आज झूठे से जो लग रहे,
वो सचाइयाँ होंगीं,
कई पुकार होंगीं,
जो तेरे लिए थी,
कई शब्द होंगे,
जो मैंने कहे थे,
कुछ क्षण होंगे
जब तू रोई थी,
कई पल होंगे
जब मैं हँसा था

मैं जानता हूँ
बातें अभी अधूरी हैं

अभी तो ज़िंदगी 
की हीं चर्चा है,
फिर मौत की भी बारी है,
अभी तो इनके बीच,
गुज़रना है कितनी साँसों को,
अभी तो कई 
अनदेखे ख़्वाब है,
अनसुलझे सवालों के,
मिलने जवाब हैं,
ना जाने अभी कितनी बार,
गुज़रना है उन्ही राहों से,
ले के सहारा तेरी बाँहों का,
अभी तो दामन में तेरे,
कई फूल हैं गिरने 
कई काँटे हैं उगने,
अभी ही मत चल दो
तुम मुँह मोड़ के 

मैं जानता हूँ
बातें अभी अधूरी हैं



No comments:

Post a Comment