Viyogikavi

कोरी भावनाएँ, अधूरे सपने, आधा सच, पूरा झूठ, जीत, हार, व्यंग, तिरस्कार और भी बहुत कुछ

Tuesday, 14 November 2023

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मैं अकेला तुम अकेले मैं हूं जब तक है तभी तक ये हसीन दुनिया मरने के बाद वादा रहा इसे देखने ना आऊंगा सांसे है जब तक है तभी तक इन हवाओं में मेर...
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Saturday, 21 October 2023

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  ख़ामोशियों   का  शोर   ख़ामोशियों  ने  शोर  कर  रखा  है  अंधेरों  ने  भोर  कर  रखा  है  टूट  के  बिखर  जाता  मैं  कब  का  रुसवाइयों  ने  दिल...
Thursday, 7 July 2022

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कारगिल इक्कीस का था   जब बर्फ़ीली पहाड़ियों पे, चढ़ गया सिर्फ़ ये पुकारते, दिल को अभी और   बहुत कुछ चाहिए। तुमने कहा था बैठे बैठे, बुख़ारी क...
Tuesday, 21 June 2022

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पलटन: नाम, नमक और निशान   --------------------   मेरा नाम कभी मिटा नहीं,  मेरी कहानियाँ मशहूर थी।  यादों का जो सिलसिला था,  वो पीढ़ियों का ग...
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Wednesday, 17 November 2021

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 बहुत सोचा करूँ कुछ ऐसा, ज़माने भर में नाम हो जाए  राहें थी कई मुश्किलों से भरी, आसान लगा मुल्क को बदनाम कर आए  कौन पूछेगा भला, तिरंगा कंधों...
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Wednesday, 27 October 2021

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  पापा अब नहीं रहे, न दिखेगा कभी फिर से वो चमकता चेहरा, आवाज़ की वैसी बुलंदी अब न कहीं सुनाई देगी। हर रोज सुबह टहलते हुए, अब भला फ़ोन   करूँ...
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Thursday, 5 August 2021

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 #बाज़ार# सब कुछ यहाँ, आज बिका है । जिस्म बिकी है, जान बिका है । तेरे साथ मेरा भी, ईमान बिका है । ईश्वर का , प्रसाद बिका है । माँ का भी, आशी...
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Thursday, 18 March 2021

#कश्मीर#

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  #कश्मीर# पोपलर के पेड़ से पनपती, पहले प्यार सी पत्तियाँ । चिनार फैलाए बाँह, ...
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Wednesday, 17 February 2021

किस चिराग़ को आँधी से वफ़ा चाहिए

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प्यार करने का जुर्म किया है मैंने, अब दिल टूटने की सज़ा चाहिए । यह    ज़िंदगी जी ली है    ख़ूब मैंने, अब मौत आए ऐसी दुआ चाहिए । चौंधिया गई ह...
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Wednesday, 18 November 2020

बेखबर दरबदर

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 सरहद पे खड़ा ढूँढता हूँ वतन मेरा फेरूँ नज़र जिस तरफ़ भी उजड़ा पड़ा है चमन मेरा मर के भी न मिली मिल्कियत ज़मीं की इस ओर रूह  उस तरफ़ जिस्म द...
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Tuesday, 3 December 2019

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# कमबख़्त बेपरवाह हो गई है # मिली क्या मौत से ज़िंदगी एक़बार बड़ी बेख़ौफ़ बेबाक़ हो गई है ख़फ़ा ख़फ़ा , ज़ुदा ज़ुद...
Thursday, 5 September 2019

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कुछ मसले कभी हल नहीं होते दिल में कसक सी रह जाती है बस माथे पे बल नहीं पड़ते टूटता है बिखरता है   फिर मचल ...
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Rajiv
वियोगी होगा पहला कवि, आह से उपजा होगा गान। निकलकर आँखों से चुपचाप, बही होगी कविता अनजान..। #सुमित्रानंदन पंत# विस्तृत नभ का कोई कोना, मेरा न कभी अपना होना, परिचय इतना इतिहास यही उमड़ी कल थी मिट आज चली! #महादेवी वर्मा#
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