Thursday, 9 August 2018

#मुझे अकेला छोड़ दो#


मुझे एहसास है तेरी गहराई का ऐ ज़िंदगी
घुट रहीं है साँसें मुझे डूबाना अब छोड़ दे

समय की चाल से तेज़ नहीं रफ़्तार मेरी
मेरी राहों में काँटे बिखेरना अब छोड़ दे

हुनर कहाँ है ख़्वाबों को हक़ीक़त में बदलने का
मेरी नींदों में ख़लल डालना अब छोड़ दे

तू जानता है तेरे सवालों का जवाब तेरे ही पास है
ऐ दोस्त हर वक़्त मुझे आज़माना अब छोड़ दे

दर्द के दामन को थामे शाम बैठी थी सिरहाने
गुज़र गई है रात कब की वो फ़साना अब छोड़ दे

गुम गया घर का पता गली गाँव की ख़ामोश है
ना रहा कोई रोने वाला वो ठिकाना अब छोड़ दे

ज़हर फैल चूका है जिस्म के हर पोरो में
सो जाऊँगा मैं ऐ मौत मुझे थपथपाना अब छोड़ दे
         
                  

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