Tuesday, 25 September 2018

# तैयार हो ना ? #

अब बस,
हमारा सम्बंध,
यहीं होता
है ख़त्म ।
रात के इसी 
अन्तिम छोर से,
अब शुरू होगी
तुम्हारी ज़िंदगी की,
सुबह एक नई ।

तैयार हो ना ?

और फिर
एक झटके के साथ,
छुड़ा के हाथ,
वो हो गया विलुप्त,
पर गूँज रहा
अब भी वही सवाल,
तैयार हो ना ?

कैसी तैयारी ?
ज़िंदगी को जीने की,
या फिर मौत को पाने की,
जब काल ही होगा
मेरा पथ प्रदर्शक,
उसी के हाँथों में होगी,
बागडोर मेरे जीवन की,
हर क्षण हर पल,
पर होगा
नियंत्रण उसी का,
तो फिर क्या औचित्य है
मेरी तैयारी का ।

पर शायद
वो कह रहा हो,
कि तैयार हो जाओ,
बनने के लिए
एक अभिनेता कुशल,
कि होगा अभिनय अलग,
अब हर क्षण हर पल ।

कभी रोना,
तो कभी हँसना होगा,
कभी जीना झूठ का,
तो कभी सच का,
मरना होगा ।

अब हर पल,
होगा बदलना
स्वयं को,
होगा ढलना,
परिस्थितियों के
अनुरूप में,
तैयार हो जाओ,
कि अब तुम्हें
लेना है जन्म,
मनुष्य के रूप में ।


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