Saturday, 29 September 2018

# मेरी बेबसी तेरा अहंकार#

कुछ बोल पड़ूँ,
तो कहते हैं ग़द्दार है
जब चुप रहूँ,
तो ज़ाहिर है लाचार है

बेज़ुबान तो हूँ नहीं,
लिए फिरता जज़्बात कई,
कुछ बोलने का हक़ कहाँ,
हर हर्फ़ मेरा बेज़ार है

प्यादे तेरे, वज़ीर भी तू,
चौखने से, बँधा मैं हूँ
तू जीत गया बाज़ी ये,
कहाँ मुझे इनकार है

ग़ुस्ताख़ी इन नज़रों की,
अब जाने दो छोड़ो भी,
सिर जो उठा होगा क़लम,
जानता हूँ तेरी सरकार है

ये ख़ामोशी, 
कुछ दिन और सही,
मेरी बेबसी में कोई दम नहीं,
तुझे ख़त्म करने के लिए,
काफ़ी तेरा अहंकार है







No comments:

Post a Comment