Followers

Wednesday, 27 October 2021

 पापा अब नहीं रहे,

न दिखेगा कभी फिर से

वो चमकता चेहरा,

आवाज़ की वैसी बुलंदी

अब न कहीं सुनाई देगी।


हर रोज सुबह

टहलते हुए,

अब भला फ़ोन 

करूँगा किसे ?


ज़िंदगी की सारी कश्मकश,

सिमट गई बेजान तस्वीर में,

सारे हिसाब किताब,

डायरी में रह गए लिखे।


कितनी ज़मीन कितनी रशीदें,

जद्दोजहद से समेटीं हुई

और रखी हुई क़रीने से,

सब छोड़ यहीं,

ख़ामोश हो चल दिए।


किसको दिया, कितना दिया

कब कब, क्या क्या, किससे कहा,

सब रह गया धरा का धरा 

आँखों के सामने ही हुए,

आग राख धुआँ हवा ।


गाँव खलियान बाग़ बग़ीचे,

कुछ मायने नहीं अब उनके लिए,

जो नींव रखी, जो सपने सँजोए

क्या ही देखेंगे उन्हें, पूरे होते हुए।


वर्तमान से संतुष्ट 

भविष्य से निश्चिन्त

जो बीत गया जो नहीं मिला

उसका उन्हें ग़म कभी ना रहा


पर वो ग़म, जो छोड़ गए,

हम सब के लिए,

कैसे भुलाए ?

दिन गुज़रता है 

यही सोचते हुए।


मुझे सुननी है,

आवाज़ वो फिर से,

खनकती हुई, दूर करती,

बादल सारी चिंताओं के,

देखना है वो चमकता चेहरा,

आँखों के सामने से गुज़रता हुआ।


दिल को भी है यही यक़ीं,

मौजूद हैं वो यहीं कहीं,

निगाहें हम पर ही है उनकी,

बस नज़रों से वो दिखते नहीं।

4 comments:

  1. प्रिय राजीव जी, दिवंगत पिता को ये भावपूर्ण अभिव्यक्ति अपने आप में बहुत मर्मान्तक और आंखों को नम करने वाली है। एक पिता के बिछोह से उपजा असहनीय दर्द और उनकी प्रेरक जीवटता का सरल और सहज शब्दों में वर्णन दिल को छूने वाला है। संतान के लिए पिता एक छत है , आकाश है साथ में स्नेह भरी गोद है। उसी के सानिध्य में हम निश्चिंत और हमेशा बच्चे बने रह सकते हैं। पिता को खोने के दर्द से वाकिफ हूं इसलिए शब्द दर शब्द मानो अपनी भावनाओं का चित्रण देख रही हूं। पिता के बहुत जल्दी जाने
    से उनके अधूरे सपनों का गम हमेशा सालता है।दिवंगत आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि और सादर नमन 🙏🙏🙁

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभार रेणु जी आपका। जब समय था तब वक्त नहीं था, अब साथ की चाह है, पर कुछ हो नहीं सकता।

      Delete
  2. किसको दिया, कितना दिया
    कब कब, क्या क्या, किससे कहा,
    सब रह गया धरा का धरा
    आँखों के सामने ही हुए,
    आग राख धुआँ हवा ।
    गाँव खलियान बाग़ बग़ीचे,

    कुछ मायने नहीं अब उनके लिए,
    जो नींव रखी, जो सपने सँजोए
    क्या ही देखेंगे उन्हें, पूरे होते हुए
    बहुत बड़ा सच है 😥😥

    ReplyDelete
  3. पिता अपने बच्चों के लिए आदर्श होते हैं। उनके न होने के सूने पन को शब्दों में बयां करना बहुत कठिन है।
    🙏🙏

    ReplyDelete