मैं अकेला तुम अकेले
मैं हूं जब तक
है तभी तक
ये हसीन दुनिया
मरने के बाद
वादा रहा
इसे देखने ना आऊंगा
सांसे है जब तक
है तभी तक
इन हवाओं में मेरी चर्चा
जब मैं ही नहीं
किसे याद रहेगा
मेरा अफसाना
चलो छोड़ो ये किस्सा
फिर से वो खेल खेले
जहां तुम्हीं थे हारे
तुम्हीं थे जीते
जब तक रवानगी रही नसो में
वह खेल चला
फिर किसे याद रहा
कौन था जीता
कौन था हारा
चलो छोड़ो ये किस्सा
फिर से वो खेल खेले
मैं अकेला
तुम अकेले
वाह | शुभकामनाएं दीप पर्व की |
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
Deleteशानदार रचना
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteवह भी अकेला था इसलिए यह संसार रचा
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteधन्यवाद
ReplyDeleteधन्यवाद
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