Monday, 13 August 2018

#व्यर्थ है संवाद संभावनाओं से#

निर्माण की पुकार है
विध्वंस ही आधार है
डूबने को अथाह सागर
जीता वही जो पार है

रास्ते हैं व्यूह हो कर
घात लगाए समूह बन कर
मौत के अंधकार से परे
ज़िंदगी का प्रकाश है

ह्रदय व्यथित बेचैन है
उद्गार अभी तो मौन है 
कह दिया वो व्यर्थ हुआ
जो दिल में है वही सार है

हर बात के कई मायने है
कई रहस्य तो अभी जानने है
व्यर्थ है संवाद संभावनाओं से
तेरी सोच पे तेरा ही अधिकार है

दर्द की गहराइयों में सुकून है
हार में छुपा जीत का ज़ुनून है
जो रह गया दंश वो द्वेष है
मरहम लगा गया वो प्यार है

निर्माण की पुकार है
विध्वंस ही आधार है......




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