#श्रद्धांजलि#
ज़िंदगी क्षमा करो इस बार ...मिलेंगे फिर किसी अगले राह ..कि इस सफ़र के लिए
माँग लिया है मैंने ...साथ मौत का ....अब कुछ पल
चलूँ इसके संग ....कि देखूँ मेरी जीत पे अबकी
कैसी होती है जश्न ...जानूँ तो इस दफ़ा
किसने निभाई वफ़ा ...कौन मुँह मोड़ चल दिया
बेग़ानो सा ...कि चाहता हूँ यह भी इस बार... हो आँसुओं की भी बरसात ...फूलों के साथ ..कि संग लिए चला हूँ ...ज़िंदगी का ज़हर ...कि इस जीत के साथ ही ...ख़त्म हो जाए मेरा हर सफ़र.....
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Saturday, 26 January 2019

Friday, 18 January 2019
न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम
अब कह ही दो,
तुम किस तरफ़ हो ?
शामिल हो
गर्दिश में मेरे,
या बेपरवाह
यूँ ही खड़े हो ?
कुछ बातें बाँटी थी
ख़िलाफ़ ख़ुदा के,
कल तुमसे,
भरोसे के साथ
कि दिल में तेरे,
वे रहेंगी दफ़न
अब गूँज रहे हैं
ज़माने भर में,
हर हर्फ़
उस गुफ़्तगू के,
मुझे तो,
न ख़ुदा ही मिला
न विसाल-ए-सनम

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