#श्रद्धांजलि#
ज़िंदगी क्षमा करो इस बार ...मिलेंगे फिर किसी अगले राह ..कि इस सफ़र के लिए
माँग लिया है मैंने ...साथ मौत का ....अब कुछ पल
चलूँ इसके संग ....कि देखूँ मेरी जीत पे अबकी
कैसी होती है जश्न ...जानूँ तो इस दफ़ा
किसने निभाई वफ़ा ...कौन मुँह मोड़ चल दिया
बेग़ानो सा ...कि चाहता हूँ यह भी इस बार... हो आँसुओं की भी बरसात ...फूलों के साथ ..कि संग लिए चला हूँ ...ज़िंदगी का ज़हर ...कि इस जीत के साथ ही ...ख़त्म हो जाए मेरा हर सफ़र.....
बहुत ही मर्मान्तक प्रिय राजीव | क्या कहूं इन वीरों के लिए | और आपके शब्द बींध से गये मन को |आखिर लडाई से क्या हासिल हुआ | ना जाने कितने घरों के अपार संभावनाओं के युवा असमय काल कवलित हो गये | देश के स्वाभिमान के प्रश्न पर इन वीरों की जय हो पर उन घरों के आंगन के सन्नाटे क्या कहते होंगे , जिनके रोशन चिराग यूँ बुझ गये ? नमन वीरों कोटि- कोटि !!!!
ReplyDelete