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Wednesday 22 August 2018

#सपनों की दुनिया#

रात हो चली
अब सोने चले
कि देखेंगे सपने
उनके
जो हमें ना मिले ।
कुछ वक़्त गुज़ारे
साथ उसके
मूँद आँखें
एक बार भी
देखा नहीं
जिसने नज़रें 
उठा के ।

लगा के मरहम
सपनों को
रोक लें
रिसने से
दिल के ज़ख़्मों को ।
आज रात आओ
हँस लें
ज़ोरों से
सुबह से तो आँसू
बिन पूछे
छलकेंगे ।

जीत आए
सारी कायनात
चलो आज की रात ।
दिखा दें
ज़माने को
गर्व भरा
सीना अपना
सुना दें सबको
अपनी बात ।
कि सुबह की
किरण के साथ ही
शुरू होने लगेगा
सिलसिला हार का ।

आओ जी लें
जी भर
इन सपनो 
में खो कर ।
उड़े आसमान
साँसों में नई
उमंग भर कर ।
कि सुबह
मरना भी पड़े
तो दिल में कोई 
अफ़सोस ना रहे ।

            (1997)







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