#मृत्यु पुनः दे गया जीवन#
कितनो को
मरते देखा
कितनी ही
चिता जलाई
पहली बार
अग्नि लपटो से
आँख नभ की
भर आयी
एक किसी का
नहीं था वो
मिला सबसे
हँस के राहों में
हृदय में प्रीत
रहा बसाए
रखा लिहाज़
निगाहों में
अब कोई बात न
पहुँचेगी तुम तक,
तेरे नयनों से
न बहेंगे नीर,
आवाज़ बूलन्द
गूँजेगी फिर भी
दरिया पर्वत को
लाँघ चीर
मौत न तुझसे
जीतेगा कभी
इतना मुझको
हमेशा था यक़ीं
जली देह
पाया गगन
मृत्यु पुनः दे गया जीवन
What a tribute to the iconic Ataj Ji!!
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