#तुम और मैं#
ये यादें है
जो की दिल से
जाती हीं नहीं
और एक तुम हो
कि पास आती
भी नहीं
ये साँसें है मेरी
लिए ख़ुश्बू को तेरी
बुलाती है तुझे
ना जाने कब से
और एक तुम हो
कि अपने साँसों में भरे
ना जाने किसके
एहसास को,
मदहोश हो ।
मैंने तो कहा
एक बार ही तुझसे
कि खो जाए अंधेरों में
कुछ पल के लिए
और ना जाने तुम थाम
किसका हाथ
गुम हो गए
उजाले से पहले ।
ना वक़्त दिया
कुछ कहने का
ना रुके तुम
कुछ सुनने के लिए ।
ये आँखें है मेरी
जो ताक रही
तुम्हारा रास्ता तब से
एक तुम हो
कि जिसे याद ही नहीं
वो राहें
जिन पे हम चले थे कभी ।
बस मूँदी थी आँखें
कुछ पल के लिए
बहाना था
तुझे सताने का
और उन्ही चंद पलों में
तुम मुँह फेर चल दिए
मौक़ा भी न दिया
बुलाने का ।
एक दिल है मेरा
जो धड़क रहा
दे रहा सदा
कि एक बार तो देखे
तू मुड़ कर पीछे
एक दिल है तेरा
जो पत्थर बना
अड़ा है न जाने
किस ज़िद पे
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